श्री महाभारत  »  पर्व 7: द्रोण पर्व  »  अध्याय 156: सोमदत्त और सात्यकिका युद्ध, सोमदत्तकी पराजय, घटोत्कच और अश्वत्थामाका युद्ध और अश्वत्थामाद्वारा घटोत्कचके पुत्रका, एक अक्षौहिणी राक्षस-सेनाका तथा द्रुपदपुत्रोंका वध एवं पाण्डव-सेनाकी पराजय  »  श्लोक 158
 
 
श्लोक  7.156.158 
तामवप्लुत्य जग्राह द्रौणिर्न्यस्य रथे धनु:।
चिक्षेप चैनां तस्यैव स्यन्दनात् सोऽवपुप्लुवे॥ १५८॥
 
 
अनुवाद
यह देखकर अश्वत्थामा ने अपना धनुष रथ पर चढ़ाया और कूदकर शत्रु को पकड़कर घटोत्कच के रथ पर फेंक दिया। घटोत्कच रथ से कूद पड़ा।
 
Seeing this Ashvatthama put his bow on the chariot and jumped and caught the enemy and threw him on the chariot of Ghatotkacha. Ghatotkacha jumped from the chariot.
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.