श्री महाभारत  »  पर्व 7: द्रोण पर्व  »  अध्याय 156: सोमदत्त और सात्यकिका युद्ध, सोमदत्तकी पराजय, घटोत्कच और अश्वत्थामाका युद्ध और अश्वत्थामाद्वारा घटोत्कचके पुत्रका, एक अक्षौहिणी राक्षस-सेनाका तथा द्रुपदपुत्रोंका वध एवं पाण्डव-सेनाकी पराजय  »  श्लोक 146
 
 
श्लोक  7.156.146 
ततोऽन्यैर्विशिखैस्तूर्णं स्वर्णपुङ्खैर्महामना:।
निजघ्ने राक्षसान् द्रौणिर्दिव्यास्त्रप्रतिमन्त्रितै:॥ १४६॥
 
 
अनुवाद
तत्पश्चात् महामनस्वी अश्वत्थामा ने दिव्यास्त्रों से प्रेरित होकर सुवर्णमय पंखवाले अन्य बाणों द्वारा तत्काल ही राक्षसों को घायल कर दिया ॥146॥
 
After that, the great man of mind, Ashwatthama, immediately injured the demons with other arrows having golden wings, inspired by the divine weapons. 146॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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