श्री महाभारत  »  पर्व 7: द्रोण पर्व  »  अध्याय 156: सोमदत्त और सात्यकिका युद्ध, सोमदत्तकी पराजय, घटोत्कच और अश्वत्थामाका युद्ध और अश्वत्थामाद्वारा घटोत्कचके पुत्रका, एक अक्षौहिणी राक्षस-सेनाका तथा द्रुपदपुत्रोंका वध एवं पाण्डव-सेनाकी पराजय  »  श्लोक 136
 
 
श्लोक  7.156.136 
युगान्ते सर्वभूतानि दग्ध्वेव वसुरुल्बण:।
रराज जयतां श्रेष्ठो द्रोणपुत्रस्तवाहितान्॥ १३६॥
 
 
अनुवाद
राजन! विजयी योद्धाओं में श्रेष्ठ द्रोणपुत्र अश्वत्थामा आपके शत्रुओं को जलाकर उसी प्रकार शोभायमान हो गया, जैसे प्रलयकाल में समस्त प्राणियों को भस्म कर देने वाली अग्नि।।136॥
 
Rajan! Drona's son Ashwatthama, the best among the victorious warriors, became resplendent after burning your enemies like the fire that destroys all living beings in the time of destruction. 136॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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