श्री महाभारत  »  पर्व 7: द्रोण पर्व  »  अध्याय 156: सोमदत्त और सात्यकिका युद्ध, सोमदत्तकी पराजय, घटोत्कच और अश्वत्थामाका युद्ध और अश्वत्थामाद्वारा घटोत्कचके पुत्रका, एक अक्षौहिणी राक्षस-सेनाका तथा द्रुपदपुत्रोंका वध एवं पाण्डव-सेनाकी पराजय  »  श्लोक 129
 
 
श्लोक  7.156.129 
स तैरभ्याहतो गाढं शरैर्भीमसुतेरितै:।
चचाल रथमध्यस्थो वातोद्धत इव द्रुम:॥ १२९॥
 
 
अनुवाद
भीमपुत्र घटोत्कच के बाणों से अत्यन्त घायल होकर रथ पर बैठा अश्वत्थामा वायु से हिलते हुए वृक्ष के समान काँपने लगा।
 
Deeply wounded by the arrows shot by Ghatotkacha, son of Bhima, Ashvatthama seated in the chariot began to tremble like a tree shaken by the wind.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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