वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्री महाभारत
»
पर्व 7: द्रोण पर्व
»
अध्याय 156: सोमदत्त और सात्यकिका युद्ध, सोमदत्तकी पराजय, घटोत्कच और अश्वत्थामाका युद्ध और अश्वत्थामाद्वारा घटोत्कचके पुत्रका, एक अक्षौहिणी राक्षस-सेनाका तथा द्रुपदपुत्रोंका वध एवं पाण्डव-सेनाकी पराजय
»
श्लोक 129
श्लोक
7.156.129
स तैरभ्याहतो गाढं शरैर्भीमसुतेरितै:।
चचाल रथमध्यस्थो वातोद्धत इव द्रुम:॥ १२९॥
अनुवाद
भीमपुत्र घटोत्कच के बाणों से अत्यन्त घायल होकर रथ पर बैठा अश्वत्थामा वायु से हिलते हुए वृक्ष के समान काँपने लगा।
Deeply wounded by the arrows shot by Ghatotkacha, son of Bhima, Ashvatthama seated in the chariot began to tremble like a tree shaken by the wind.
✨ ai-generated
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.