श्री महाभारत  »  पर्व 7: द्रोण पर्व  »  अध्याय 156: सोमदत्त और सात्यकिका युद्ध, सोमदत्तकी पराजय, घटोत्कच और अश्वत्थामाका युद्ध और अश्वत्थामाद्वारा घटोत्कचके पुत्रका, एक अक्षौहिणी राक्षस-सेनाका तथा द्रुपदपुत्रोंका वध एवं पाण्डव-सेनाकी पराजय  »  श्लोक 127
 
 
श्लोक  7.156.127 
अथ प्रववृते युद्धं द्रौणिराक्षसयोर्मृधे।
विभावर्यां सुतुमुलं शक्रप्रह्लादयोरिव॥ १२७॥
 
 
अनुवाद
तत्पश्चात् रात्रि के समय युद्धस्थल में इन्द्र और प्रह्लाद के समान द्रोणकुमार अश्वत्थामा और राक्षस घटोत्कच के बीच अत्यन्त भयंकर युद्ध आरम्भ हो गया ॥127॥
 
Thereafter, a very fierce battle started in the battlefield at night between Drona Kumar Ashwatthama and the demon Ghatotkacha, like Indra and Prahlad. 127॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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