श्री महाभारत  »  पर्व 7: द्रोण पर्व  »  अध्याय 156: सोमदत्त और सात्यकिका युद्ध, सोमदत्तकी पराजय, घटोत्कच और अश्वत्थामाका युद्ध और अश्वत्थामाद्वारा घटोत्कचके पुत्रका, एक अक्षौहिणी राक्षस-सेनाका तथा द्रुपदपुत्रोंका वध एवं पाण्डव-सेनाकी पराजय  »  श्लोक 126
 
 
श्लोक  7.156.126 
एवमुक्तो ययौ शीघ्रं पुत्रेण तव सौबल:।
पिप्रीषुस्ते सुतान् राजन् दिधक्षुश्चैव पाण्डवान्॥ १२६॥
 
 
अनुवाद
राजन! आपके पुत्र की यह बात सुनकर सुबलपुत्र शकुनि आपके पुत्रों को प्रसन्न करने तथा पाण्डवों को भस्म करने की इच्छा से शीघ्र ही युद्ध के लिए चल पड़ा ॥126॥
 
Rajan! Hearing this from your son, Shakuni, the son of Subala, soon set out for war with the desire to please your sons and incinerate the Pandavas. 126॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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