श्री महाभारत  »  पर्व 7: द्रोण पर्व  »  अध्याय 156: सोमदत्त और सात्यकिका युद्ध, सोमदत्तकी पराजय, घटोत्कच और अश्वत्थामाका युद्ध और अश्वत्थामाद्वारा घटोत्कचके पुत्रका, एक अक्षौहिणी राक्षस-सेनाका तथा द्रुपदपुत्रोंका वध एवं पाण्डव-सेनाकी पराजय  »  श्लोक 125
 
 
श्लोक  7.156.125 
दारितान् द्रौणिना बाणैर्भृशं विक्षतविग्रहान्।
जहि मातुल कौन्तेयानसुरानिव पावकि:॥ १२५॥
 
 
अनुवाद
‘चाचा! द्रोणपुत्र अश्वत्थामा ने कुन्ती के पुत्रों को अपने बाणों से घायल कर दिया है; उनके शरीर क्षत-विक्षत हो गए हैं। ऐसी स्थिति में आप राक्षसों का वध करने वाले कुमार कार्तिकेय के समान कुन्ती के पुत्रों का वध कर दें।’॥125॥
 
‘Uncle! Drona's son Ashwatthama has pierced Kunti's sons with his arrows; their bodies have been mutilated. In this condition, you should kill Kunti's sons like Kumar Kartikeya who killed demons.'॥ 125॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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