वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्री महाभारत
»
पर्व 7: द्रोण पर्व
»
अध्याय 156: सोमदत्त और सात्यकिका युद्ध, सोमदत्तकी पराजय, घटोत्कच और अश्वत्थामाका युद्ध और अश्वत्थामाद्वारा घटोत्कचके पुत्रका, एक अक्षौहिणी राक्षस-सेनाका तथा द्रुपदपुत्रोंका वध एवं पाण्डव-सेनाकी पराजय
»
श्लोक 116
श्लोक
7.156.116
तिष्ठ दुर्योधनाद्य त्वं न कार्य: सम्भ्रमस्त्वया।
सहैभिर्भ्रातृभिर्वीरै: पार्थिवैश्चेन्द्रविक्रमै:॥ ११६॥
अनुवाद
दुर्योधन! आज चुपचाप खड़ा रह। इन इन्द्र के समान पराक्रमी राजाओं तथा अपने वीर भाइयों के सामने तुझे भय नहीं होना चाहिए ॥116॥
Duryodhan! Stand quietly today. You should not be afraid in the presence of these kings who are as powerful as Indra and your brave brothers. ॥ 116॥
✨ ai-generated
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.