श्री महाभारत » पर्व 6: भीष्म पर्व » अध्याय 5: पंचमहाभूतों तथा सुदर्शनद्वीपका संक्षिप्त वर्णन » श्लोक 3 |
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| | श्लोक 6.5.3  | संजय उवाच
पञ्चेमानि महाराज महाभूतानि संग्रहात्।
जगतीस्थानि सर्वाणि समान्याहुर्मनीषिण:॥ ३॥ | | | अनुवाद | संजय ने कहा, "महाराज! इस पृथ्वी पर जो भी वस्तुएँ हैं, वे सब मूलतः पाँच तत्त्व हैं। इसीलिए विद्वान पुरुष उन सबको 'सम' कहते हैं।" | | Sanjay said, "Maharaj! All the things that exist on this earth are in essence the five elements. That is why wise men call them all 'Sam*'. 3. |
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