श्री महाभारत  »  पर्व 6: भीष्म पर्व  »  अध्याय 5: पंचमहाभूतों तथा सुदर्शनद्वीपका संक्षिप्त वर्णन  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  6.5.13 
सुदर्शनं प्रवक्ष्यामि द्वीपं तु कुरुनन्दन।
परिमण्डलो महाराज द्वीपोऽसौ चक्रसंस्थित:॥ १३॥
 
 
अनुवाद
हे कुरुणान्! अब मैं सुदर्शन नामक द्वीप का वर्णन करूँगा। हे महाराज! वह द्वीप चक्र के समान गोलाकार है।॥13॥
 
O son of Kuruṇān! Now I shall describe the island called Sudarśana. O Maharaj! That island is situated in a circular shape like a discus.॥ 13॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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