श्री महाभारत  »  पर्व 6: भीष्म पर्व  »  अध्याय 104: अर्जुनके द्वारा त्रिगर्तोंकी पराजय, कौरव-पाण्डव-सैनिकोंका घोर युद्ध, अभिमन्युसे चित्रसेनकी, द्रोणसे द्रुपदकी और भीमसेनसे बाह्लीककी पराजय तथा सात्यकि और भीष्मका युद्ध  »  श्लोक 22-23h
 
 
श्लोक  6.104.22-23h 
हताश्वात् तु रथात् तूर्णं सोऽवप्लुत्य महारथ:॥ २२॥
आरुरोह रथं तूर्णं दुर्मुखस्य विशाम्पते।
 
 
अनुवाद
प्रजानाथ! अपने घोड़ों के मर जाने पर महाबली चित्रसेन तुरन्त अपने रथ से उतरकर दुर्मुख के रथ पर चढ़ गया।
 
Prajanath! On the death of his horses, the mighty warrior Chitrasena immediately jumped off his chariot and boarded Durmukha's chariot.
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.