श्री महाभारत  »  पर्व 6: भीष्म पर्व  »  अध्याय 104: अर्जुनके द्वारा त्रिगर्तोंकी पराजय, कौरव-पाण्डव-सैनिकोंका घोर युद्ध, अभिमन्युसे चित्रसेनकी, द्रोणसे द्रुपदकी और भीमसेनसे बाह्लीककी पराजय तथा सात्यकि और भीष्मका युद्ध  »  श्लोक 20-21h
 
 
श्लोक  6.104.20-21h 
चित्रसेनं त्रिभिर्बाणैर्विव्याध समरे भृशम्।
समागतौ तौ तु रणे महामात्रौ व्यरोचताम्॥ २०॥
यथा दिवि महाघोरौ राजन् बुधशनैश्चरौ।
 
 
अनुवाद
उसने युद्ध में चित्रसेन को तीन बाणों से मार डाला। राजन! जैसे आकाश में बुध और शनि दो महाबली ग्रह सुशोभित हैं, उसी प्रकार युद्धभूमि में चित्रसेन और अभिमन्यु ये दो महारथी सुशोभित हो रहे थे। 20 1/2॥
 
He mortally wounded Chitrasena in the battle with three arrows. Rajan! Just as the two mighty planets Mercury and Saturn are adorned in the sky, similarly the two great heroes Chitrasen and Abhimanyu were adorning the battlefield. 20 1/2॥
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