श्री महाभारत  »  पर्व 6: भीष्म पर्व  »  अध्याय 104: अर्जुनके द्वारा त्रिगर्तोंकी पराजय, कौरव-पाण्डव-सैनिकोंका घोर युद्ध, अभिमन्युसे चित्रसेनकी, द्रोणसे द्रुपदकी और भीमसेनसे बाह्लीककी पराजय तथा सात्यकि और भीष्मका युद्ध  »  श्लोक 2
 
 
श्लोक  6.104.2 
सुशर्मापि ततो बाणै: पार्थं विव्याध संयुगे।
वासुदेवं च सप्तत्या पार्थं च नवभि: पुन:॥ २॥
 
 
अनुवाद
फिर सुशर्मन ने युद्धस्थल में कुन्तीकुमार अर्जुन को भी अनेक बाणों से घायल कर दिया। फिर उसने वसुदेवनन्दन श्रीकृष्ण पर सत्तर बाण और अर्जुन पर नौ बाण छोड़े।
 
Then Susarman also injured Kuntikumar Arjun with many arrows in the battlefield. Then he shot seventy arrows at Vasudevanandan Shri Krishna and nine arrows at Arjuna.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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