श्री महाभारत  »  पर्व 5: उद्योग पर्व  »  अध्याय 163: पाँचों पाण्डवों, विराट, द्रुपद, शिखण्डी और धृष्टद्युम्नका संदेश लेकर उलूकका लौटना और उलूककी बात सुनकर दुर्योधनका सेनाको युद्धके लिये तैयार होनेका आदेश देना  »  श्लोक 23-24
 
 
श्लोक  5.163.23-24 
न द्वितीयां प्रतिज्ञां हि प्रतिजानामि कैतव।
सत्यं ब्रवीम्यहं ह्येतत् सर्वं सत्यं भविष्यति॥ २३॥
युधिष्ठिरोऽपि कैतव्यमुलूकमिदमब्रवीत्।
उलूक मद्वचो ब्रूहि गत्वा तात सुयोधनम्॥ २४॥
 
 
अनुवाद
शकुनिपुत्र! मैं दूसरी बार प्रतिज्ञा करना नहीं जानता। मैं तुमसे सत्य कह रहा हूँ। यह सब कुछ अवश्य ही घटित होगा।’ तत्पश्चात युधिष्ठिर ने भी धूर्त जुआरी के पुत्र उलूक से इस प्रकार कहा - ‘बेटा उलूक! दुर्योधन के पास जाकर उससे यह कहो -॥ 23-24॥
 
Shakuniputra! I do not know how to make a promise a second time. I am telling you the truth. All this will come true.' After that Yudhishthira also said to Ulook, the son of the cunning gambler, in this manner - 'Son Ulook! Go to Duryodhan and tell him this -॥ 23-24॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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