श्री महाभारत  »  पर्व 5: उद्योग पर्व  »  अध्याय 143: कर्णके द्वारा पाण्डवोंकी विजय और कौरवोंकी पराजय सूचित करनेवाले लक्षणों एवं अपने स्वप्नका वर्णन  »  श्लोक 2-3
 
 
श्लोक  5.143.2-3 
जानन् मां किं महाबाहो सम्मोहयितुमिच्छसि।
योऽयं पृथिव्या: कात्‍स्‍न्‍‍‍र्येन विनाश: समुपस्थित:॥ २॥
निमित्तं तत्र शकुनिरहं दु:शासनस्तथा।
दुर्योधनश्च नृपतिर्धृतराष्ट्रसुतोऽभवत्॥ ३॥
 
 
अनुवाद
महाबाहु! सब कुछ जानते हुए भी तुम मुझे क्यों धोखा देना चाहते हो? मैं, शकुनि, दु:शासन और धृतराष्ट्रपुत्र राजा दुर्योधन, इस पृथ्वी के सर्वनाश में निमित्त मात्र बने हुए हैं॥ 2-3॥
 
Mahabahu! Why do you want to delude me even after knowing everything? I, Shakuni, Dushasan and King Duryodhan, son of Dhritarashtra, have become mere instruments in the total destruction of this earth.॥ 2-3॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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