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श्लोक 5.139.22  |
अलं युद्धेन तैर्वीरै: शाम्य त्वं कुरुवृद्धये।
मा गम: ससुतामात्य: सबलश्च यमक्षयम्॥ २२॥ |
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अनुवाद |
हे राजन! युद्ध से आपको कोई लाभ नहीं होगा। कुरुवंश की वृद्धि के लिए आपको उन वीर पांडवों के साथ संधि कर लेनी चाहिए। अपने पुत्रों, मंत्रियों और सेनाओं सहित यमलोक जाने की तैयारी मत कीजिए। |
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O King! War will not be of any benefit to you. For the growth of the Kuru clan, you should enter into an agreement with those valiant Pandavas. Do not prepare to go to Yamaloka along with your sons, ministers and armies. |
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इति श्रीमहाभारते उद्योगपर्वणि भगवद्यानपर्वणि भीष्मद्रोणवाक्ये एकोनचत्वारिंशदधिकशततमोऽध्याय:॥ १३९॥
इस प्रकार श्रीमहाभारत उद्योगपर्वके अन्तर्गत भगवद्यानपर्वमें भीष्म-द्रोणवाक्यविषयक एक सौ उनतालीसवाँ अध्याय पूरा हुआ॥ १३९॥
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