श्री महाभारत  »  पर्व 5: उद्योग पर्व  »  अध्याय 139: भीष्मसे वार्तालाप आरम्भ करके द्रोणाचार्यका दुर्योधनको पुन: संधिके लिये समझाना  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  5.139.16 
दत्तं हुतमधीतं च ब्राह्मणास्तर्पिता धनै:।
आवयोर्गतमायुश्च कृतकृत्यौ च विद्धि नौ॥ १६॥
 
 
अनुवाद
हम दोनों ने दान, यज्ञ और विद्याध्ययन किया है। हमने अपने धन से ब्राह्मणों को संतुष्ट किया है। अब हमारा जीवन समाप्त हो गया है, अतः आप हमें धन्य समझें॥16॥
 
We both have done charity, performed sacrifices and studied on our own. We have satisfied the Brahmins with our wealth. Now our life has come to an end, so you should consider us blessed.॥ 16॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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