श्री महाभारत  »  पर्व 5: उद्योग पर्व  »  अध्याय 104: नारदजीका नागराज आर्यकके सम्मुख सुमुखके साथ मातलिकी कन्याके विवाहका प्रस्ताव एवं मातलिका नारदजी, सुमुख एवं आर्यकके साथ इन्द्रके पास आकर उनके द्वारा सुमुखको दीर्घायु प्रदान कराना तथा सुमुख-गुणकेशी-विवाह  »  श्लोक 2
 
 
श्लोक  5.104.2 
शक्रस्यायं सखा चैव मन्त्री सारथिरेव च।
अल्पान्तरप्रभावश्च वासवेन रणे रणे॥ २॥
 
 
अनुवाद
ये सभी इन्द्र के मित्र, मंत्री और सारथि हैं। ये प्रत्येक युद्ध में इन्द्र के साथ रहते हैं। इनका प्रभाव इन्द्र से कुछ ही कम है॥ 2॥
 
These are all friends, ministers and charioteers of Indra. They remain with Indra in every war. Their influence is only a little less than that of Indra.॥ 2॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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