श्री महाभारत  »  पर्व 3: वन पर्व  »  अध्याय 98: धन प्राप्त करनेके लिये अगस्त्यका श्रुतर्वा, ब्रध्नश्व और त्रसदस्यु आदिके पास जाना  »  श्लोक 20
 
 
श्लोक  3.98.20 
लोमश उवाच
तेषां तदासीदुचितमिल्वलस्यैव भिक्षणम्।
ततस्ते सहिता राजन्निल्वलं समुपाद्रवन्॥ २०॥
 
 
अनुवाद
लोमश कहते हैं - युधिष्ठिर! उस समय उन सभी को इल्वल के यहाँ भिक्षा माँगना ही श्रेयस्कर लगा, अतः वे सब मिलकर शीघ्रता से इल्वल के यहाँ गये।
 
Lomasha says - Yudhishthira! At that time it seemed best to all of them to beg at Ilvala's place, so all of them together went to Ilvala's place in haste.
 
इति श्रीमहाभारते वनपर्वणि तीर्थयात्रापर्वणि लोमशतीर्थयात्रायामगस्त्योपाख्याने अष्टनवतितमोऽध्याय:॥ ९८॥
इस प्रकार श्रीमहाभारत वनपर्वके अन्तर्गत तीर्थयात्रापर्वमें लोमशतीर्थयात्राके प्रसंगमें अगस्त्योपाख्यानविषयक अट्ठानबेवाँ अध्याय पूरा हुआ॥ ९८॥

 
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