श्री महाभारत » पर्व 3: वन पर्व » अध्याय 98: धन प्राप्त करनेके लिये अगस्त्यका श्रुतर्वा, ब्रध्नश्व और त्रसदस्यु आदिके पास जाना » श्लोक 11 |
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| | श्लोक 3.98.11  | तत आयव्ययौ दृष्ट्वा समौ सममतिर्द्विज:।
सर्वथा प्राणिनां पीडामुपादानादमन्यत॥ ११॥ | | | अनुवाद | तब समबुद्धि वाले अगस्त्य ऋषि ने उस कथन में आय-व्यय को देखकर यह निष्कर्ष निकाला कि यदि इसमें से थोड़ा-सा भी धन निकाल लिया जाए, तो अन्य प्राणियों को महान कष्ट हो सकता है ॥11॥ | | Then the sage Agastya, having equal intellect, looking at the income and expenditure in that statement, concluded that if even a little money is taken from it, then other creatures may face great suffering. ॥ 11॥ |
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