श्री महाभारत  »  पर्व 3: वन पर्व  »  अध्याय 98: धन प्राप्त करनेके लिये अगस्त्यका श्रुतर्वा, ब्रध्नश्व और त्रसदस्यु आदिके पास जाना  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  3.98.10 
लोमश उवाच
तत आयव्ययौ पूर्णौ ताभ्यां राजा न्यवेदयत्।
अतो ज्ञात्वा तु गृह्णीतं यदत्र व्यतिरिच्यते॥ १०॥
 
 
अनुवाद
लोमशजी ने कहा- युधिष्ठिर! तब राजा वृधंश्व ने भी आय-व्यय का पूरा ब्यौरा उनके सामने रख दिया और कहा- 'इसमें जो भी राशि आपको अधिक लगे, उसे आप दोनों ले सकते हैं।'॥10॥
 
Lomashji said- Yudhishthir! Then king Bridhanshva also put the complete details of income and expenditure in front of them and said- 'You both can take whatever amount you think is more in this.'॥ 10॥
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