श्री महाभारत  »  पर्व 3: वन पर्व  »  अध्याय 91: महर्षि लोमशका आगमन और युधिष्ठिरसे अर्जुनके पाशुपत आदि दिव्यास्त्रोंकी प्राप्तिका वर्णन तथा इन्द्रका संदेश सुनाना  »  श्लोक 8
 
 
श्लोक  3.91.8 
सोऽहमभ्यागत: क्षिप्रं दिदृक्षुस्त्वां सहानुजम्।
वचनात् पुरुहूतस्य पार्थस्य च महात्मन:॥ ८॥
 
 
अनुवाद
'उस इन्द्र की आज्ञा से मैं अपने भाइयों सहित शीघ्रतापूर्वक आपके दर्शन के लिए यहाँ आया हूँ। न केवल इन्द्र ने मुझसे ऐसा करने के लिए कहा था, अपितु महात्मा अर्जुन ने भी मुझसे ऐसा करने के लिए कहा था।'
 
‘By the order of that Indra, I have come here in a hurry along with my brothers to see you. Not only Indra had asked me for this, but Mahatma Arjun had also requested me. 8.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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