श्री महाभारत  »  पर्व 3: वन पर्व  »  अध्याय 308: कर्णका जन्म, कुन्तीका उसे पिटारीमें रखकर जलमें बहा देना और विलाप करना  »  श्लोक 2
 
 
श्लोक  3.308.2 
सा बान्धवभयाद् बाला गर्भं तं विनिगूहती।
धारयामास सुश्रोणी न चैनां बुबुधे जन:॥ २॥
 
 
अनुवाद
सुन्दर कमर वाली कुन्ती अपने भाइयों और बन्धु-बान्धवों के भय से गर्भस्थ शिशु को छिपाकर ले जाने लगी, जिससे किसी को यह पता न चल सका कि वह गर्भवती है॥ 2॥
 
Kunti, who had a beautiful waist, started carrying the child while hiding the fetus out of fear of her brothers and relatives. Hence, no one could know that she was pregnant.॥ 2॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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