श्री महाभारत  »  पर्व 3: वन पर्व  »  अध्याय 259: युधिष्ठिरकी चिन्ता, व्यासजीका पाण्डवोंके पास आगमन और दानकी महत्ताका प्रतिपादन  »  श्लोक 8-10h
 
 
श्लोक  3.259.8-10h 
कस्यचित् त्वथ कालस्य व्यास: सत्यवतीसुत:॥ ८॥
आजगाम महायोगी पाण्डवानवलोकक:।
तमागतमभिप्रेक्ष्य कुन्तीपुत्रो युधिष्ठिर:॥ ९॥
प्रत्युद्‍गम्य महात्मानं प्रत्यगृह्णाद् यथाविधि।
 
 
अनुवाद
तदनन्तर किसी समय महायोगी सत्यवतीनन्दन व्यास पाण्डवों से मिलने वहाँ आये। उस महात्मा को आते देख कुन्तीपुत्र युधिष्ठिर उनका स्वागत करने के लिए थोड़ा आगे बढ़े और उनका यथोचित स्वागत-सत्कार करके उन्हें अपने साथ ले आये।
 
Thereafter, at some time, the great Yogi Satyavatinandan Vyas came there to see the Pandavas. Seeing that great soul coming, Yudhishthira, the son of Kunti, went ahead a little to receive him and after a proper welcome and hospitality, brought him along with him. 8-9 1/2.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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