श्री महाभारत  »  पर्व 3: वन पर्व  »  अध्याय 259: युधिष्ठिरकी चिन्ता, व्यासजीका पाण्डवोंके पास आगमन और दानकी महत्ताका प्रतिपादन  »  श्लोक 6-7h
 
 
श्लोक  3.259.6-7h 
अर्जुनो यमजौ चोभौ द्रौपदी च यशस्विनी।
स च भीमो महातेजा: सर्वेषामुत्तमो बली॥ ६॥
युधिष्ठिरमुदीक्षन्त: सेहुर्दु:खमनुत्तमम्।
 
 
अनुवाद
अर्जुन, दोनों भाई नकुल-सहदेव, यशस्वी द्रौपदी और परम बलवान एवं तेजस्वी भीमसेन भी राजा युधिष्ठिर की ओर देखते हुए मौन भाव से महान दुःख सहते रहे ॥6 1/2॥
 
Arjuna, the two brothers Nakul-Sahadeva, the famous Draupadi and the most powerful and brilliant Bhimsen also continued to bear the greatest sorrow silently while looking towards King Yudhishthir. 6 1/2॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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