श्री महाभारत  »  पर्व 3: वन पर्व  »  अध्याय 259: युधिष्ठिरकी चिन्ता, व्यासजीका पाण्डवोंके पास आगमन और दानकी महत्ताका प्रतिपादन  »  श्लोक 32
 
 
श्लोक  3.259.32 
विशेषस्त्वत्र विज्ञेयो न्यायेनोपार्जितं धनम्।
पात्रे काले च देशे च साधुभ्य: प्रतिपादयेत्॥ ३२॥
 
 
अनुवाद
यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि व्यक्ति को न्यायपूर्वक अर्जित धन का दान उचित स्थान, समय और सुपात्र को ध्यान में रखते हुए श्रेष्ठ व्यक्तियों को करना चाहिए। 32.
 
Here the important thing to be noted is that a person should donate the wealth earned through justice to the best people keeping in mind the right place, time and deserving person. 32.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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