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श्लोक 3.259.30  |
कृषिगोरक्ष्यमित्येके प्रतिपद्यन्ति मानवा:।
पुरुषा: प्रेष्यतामेके निर्गच्छन्ति धनार्थिन:॥ ३०॥ |
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अनुवाद |
कुछ लोग कृषि और गोरक्षा को अपनी आजीविका का साधन बनाते हैं; कुछ लोग धन की चाह में दूर-दूर जाकर नौकरी करते हैं ॥30॥ |
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Some people make agriculture and cow protection their means of livelihood; some people go far away to take up jobs in the pursuit of money. ॥ 30॥ |
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