श्री महाभारत  »  पर्व 3: वन पर्व  »  अध्याय 259: युधिष्ठिरकी चिन्ता, व्यासजीका पाण्डवोंके पास आगमन और दानकी महत्ताका प्रतिपादन  »  श्लोक 30
 
 
श्लोक  3.259.30 
कृषिगोरक्ष्यमित्येके प्रतिपद्यन्ति मानवा:।
पुरुषा: प्रेष्यतामेके निर्गच्छन्ति धनार्थिन:॥ ३०॥
 
 
अनुवाद
कुछ लोग कृषि और गोरक्षा को अपनी आजीविका का साधन बनाते हैं; कुछ लोग धन की चाह में दूर-दूर जाकर नौकरी करते हैं ॥30॥
 
Some people make agriculture and cow protection their means of livelihood; some people go far away to take up jobs in the pursuit of money. ॥ 30॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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