श्री महाभारत  »  पर्व 3: वन पर्व  »  अध्याय 259: युधिष्ठिरकी चिन्ता, व्यासजीका पाण्डवोंके पास आगमन और दानकी महत्ताका प्रतिपादन  »  श्लोक 27
 
 
श्लोक  3.259.27 
युधिष्ठिर उवाच
भगवन् दानधर्माणां तपसो वा महामुने।
किंस्विद् बहुगुणं प्रेत्य किं वा दुष्करमुच्यते॥ २७॥
 
 
अनुवाद
युधिष्ठिर ने पूछा - हे प्रभु! महामुने! दान और तप - इनमें से कौन-सा परलोक में अधिक फलदायी माना गया है? और इन दोनों में से कौन-सा अधिक कठिन कहा गया है? 27॥
 
Yudhishthir asked – Lord! Mahamune! Charity and penance – which of these is considered more fruitful in the next world? And which of these two is said to be more difficult? 27॥
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.