श्री महाभारत  »  पर्व 3: वन पर्व  »  अध्याय 259: युधिष्ठिरकी चिन्ता, व्यासजीका पाण्डवोंके पास आगमन और दानकी महत्ताका प्रतिपादन  »  श्लोक 26
 
 
श्लोक  3.259.26 
शुभानुशयबुद्धिर्हि संयुक्त: कालधर्मणा।
प्रादुर्भवति तद्योगात् कल्याणमतिरेव स:॥ २६॥
 
 
अनुवाद
"जिस मनुष्य की बुद्धि केवल कल्याण में ही लगी रहती है, वह जब मरता है, तो उस कल्याण के साथ संसर्ग के कारण कल्याणकारी बुद्धि लेकर जन्म लेता है।" ॥26॥
 
"A person whose intellect is devoted to only good, when he dies, is born with a benevolent intellect due to the association with that good." ॥26॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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