श्री महाभारत  »  पर्व 3: वन पर्व  »  अध्याय 259: युधिष्ठिरकी चिन्ता, व्यासजीका पाण्डवोंके पास आगमन और दानकी महत्ताका प्रतिपादन  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  3.259.22 
सत्यवादी लभेतायुरनायासमथार्जवम्।
अक्रोधनोऽनसूयश्च निर्वृतिं लभते पराम्॥ २२॥
 
 
अनुवाद
सत्यवादी मनुष्य दीर्घायु, सुख और सरलता को प्राप्त करता है। जो क्रोध नहीं करता और दूसरों में दोष नहीं देखता, वह परम आनंद को प्राप्त करता है॥ 22॥
 
‘A truthful person attains long life, happiness and simplicity. He who does not get angry and does not look for faults in others, attains the state of supreme bliss.॥ 22॥
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.