श्री महाभारत  »  पर्व 3: वन पर्व  »  अध्याय 259: युधिष्ठिरकी चिन्ता, व्यासजीका पाण्डवोंके पास आगमन और दानकी महत्ताका प्रतिपादन  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  3.259.19 
अधर्मरुचयो मूढास्तिर्यग्गतिपरायणा:।
कृच्छ्रां योनिमनुप्राप्ता न सुखं विन्दते जना:॥ १९॥
 
 
अनुवाद
‘जो मूर्ख मनुष्य पाप में रुचि रखते हैं, वे पशु, पक्षी आदि योनियों में जन्म लेते हैं। उन दुःखदायी योनियों में वे कभी सुख नहीं पाते।॥19॥
 
‘Those foolish people who are interested in evil are born in the species of animals, birds, etc. They never find happiness in those painful species.॥ 19॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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