श्री महाभारत  »  पर्व 3: वन पर्व  »  अध्याय 159: प्रश्नके रूपमें आर्ष्टिषेणका युधिष्ठिरके प्रति उपदेश  »  श्लोक 23
 
 
श्लोक  3.159.23 
ईषच्चपलकर्माणं मनुष्यमिह भारत।
द्विषन्ति सर्वभूतानि ताडयन्ति च राक्षसा:॥ २३॥
 
 
अनुवाद
हे भारत! यहाँ तो सब प्राणी उस मनुष्य से घृणा करते हैं जो किंचित मात्र भी चपलता दिखाता है और राक्षस उस पर आक्रमण करते हैं॥ 23॥
 
Bharat! Here all creatures hate a man who shows even the slightest agility and the demons attack him.॥ 23॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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