|
|
|
श्लोक 3.159.23  |
ईषच्चपलकर्माणं मनुष्यमिह भारत।
द्विषन्ति सर्वभूतानि ताडयन्ति च राक्षसा:॥ २३॥ |
|
|
अनुवाद |
हे भारत! यहाँ तो सब प्राणी उस मनुष्य से घृणा करते हैं जो किंचित मात्र भी चपलता दिखाता है और राक्षस उस पर आक्रमण करते हैं॥ 23॥ |
|
Bharat! Here all creatures hate a man who shows even the slightest agility and the demons attack him.॥ 23॥ |
|
✨ ai-generated |
|
|