श्री महाभारत  »  पर्व 3: वन पर्व  »  अध्याय 159: प्रश्नके रूपमें आर्ष्टिषेणका युधिष्ठिरके प्रति उपदेश  »  श्लोक 20
 
 
श्लोक  3.159.20 
अस्य चोपरि शैलस्य श्रूयते पर्वसंधिषु।
भेरीपणवशङ्खानां मृदङ्गानां च नि:स्वन:॥ २०॥
 
 
अनुवाद
त्योहारों के अवसर पर इस पर्वत पर भेरी, पणव, शंख और ढोल की ध्वनियां सुनी जा सकती हैं।
 
At the junction of festivals, the sounds of bheri, panava, conch and drums can be heard on this mountain.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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