श्री महाभारत  »  पर्व 3: वन पर्व  »  अध्याय 159: प्रश्नके रूपमें आर्ष्टिषेणका युधिष्ठिरके प्रति उपदेश  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  3.159.16 
आर्ष्टिषेण उवाच
अब्भक्षा वायुभक्षाश्च प्लवमाना विहायसा।
जुषन्ते पर्वतश्रेष्ठमृषय: पर्वसंधिषु॥ १६॥
 
 
अनुवाद
आर्ष्टिषेण बोले - पार्थ! पर्वों के संधिकाल में (पूर्णिमा और प्रतिपदा के संधिकाल में) बहुत से ऋषिगण आकाश मार्ग से उड़कर इस महान पर्वत पर आते हैं। उनमें से कुछ केवल जल पीकर और कुछ केवल वायु पीकर जीवित रहते हैं॥ 16॥
 
Aarshtisena said - Partha! At the junction of festivals (at the junction of Purnima and Pratipada) many sages come flying through the sky and visit this great mountain. Some of them survive by drinking only water and some survive by drinking only air.॥ 16॥
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