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श्लोक 3.159.15  |
युधिष्ठिर उवाच
भगवन्नार्य माहैतद् यथावद् धर्मनिश्चयम्।
यथाशक्ति यथान्यायं क्रियते विधिवन्मया॥ १५॥ |
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अनुवाद |
युधिष्ठिर बोले, "हे प्रभु! आर्याचरण! आपने मुझे इस धर्म का सार बताया है। मैं इसका यथायोग्य रीति से तथा अपनी क्षमता के अनुसार पालन करता हूँ।" ॥15॥ |
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Yudhishthira said, "O Lord! Aryacharan! You have told me the essence of this Dharma. I follow it in the proper manner and according to my ability." ॥15॥ |
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