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पर्व 3: वन पर्व
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अध्याय 159: प्रश्नके रूपमें आर्ष्टिषेणका युधिष्ठिरके प्रति उपदेश
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श्लोक 14
श्लोक
3.159.14
पिता माता तथैवाग्निर्गुरुरात्मा च पञ्चम:।
यस्यैते पूजिता: पार्थ तस्या लोकावुभौ जितौ॥ १४॥
अनुवाद
'पार्थ! जो पिता, माता, अग्नि, गुरु और आत्मा - इन पाँचों का आदर करता है, वह इस लोक और परलोक दोनों को जीत लेता है।'॥14॥
'Partha! He who respects father, mother, fire, Guru and soul - these five, wins both this world and the next.'॥ 14॥
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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