श्री महाभारत » पर्व 18: स्वर्गारोहण पर्व » अध्याय 6: » श्लोक 5 |
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| | श्लोक 18.6.5  | हन्त यत् ते प्रवक्ष्यामि तच्छृणुष्व समाहित:।
ऋषीणां देवतानां च सम्भवं वसुधातले॥ ५॥ | | | अनुवाद | अब मैं इस पृथ्वी पर ऋषियों और देवताओं के उद्भव के विषय में जो कुछ तुम्हें प्रसन्नतापूर्वक बताता हूँ, उसे ध्यानपूर्वक सुनो॥5॥ | | Now listen attentively to what I tell you happily about the emergence of sages and gods on this earth. ॥ 5॥ |
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