श्री महाभारत » पर्व 18: स्वर्गारोहण पर्व » अध्याय 6: » श्लोक 10 |
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| | श्लोक 18.6.10  | तेषां श्रुत्वा प्रतिष्ठानं नामकर्मानुकीर्तनात्।
कृत्वापि पातकं घोरं सद्यो मुच्येत मानव:॥ १०॥ | | | अनुवाद | यदि कोई मनुष्य घोर पाप भी करता हो, तो भी उनकी महिमा सुनकर तथा उनके नाम और कर्मों का प्रतिदिन कीर्तन करके, वह उनसे तुरन्त मुक्त हो जाता है ॥10॥ | | Even if a person commits grave sins, by hearing about their glory and by daily reciting their names and deeds, he is instantly freed from them. ॥10॥ |
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