श्री महाभारत  »  पर्व 18: स्वर्गारोहण पर्व  »  अध्याय 3: इन्द्र और धर्मका युधिष्ठिरको सान्त्वना देना तथा युधिष्ठिरका शरीर त्यागकर दिव्य लोकको जाना  »  श्लोक 23
 
 
श्लोक  18.3.23 
कर्मणां तात पुण्यानां जितानां तपसा स्वयम्।
दानानां च महाबाहो फलं प्राप्नुहि पार्थिव॥ २३॥
 
 
अनुवाद
‘तात! महाबाहु! पृथ्वीनाथ! आपने जो पुण्यकर्म किये हैं, जो लोक आपने तप से जीते हैं और जो दान दिये हैं, उनका फल भोगो॥23॥
 
‘Tat! Mahabahu! Prithvinath! Enjoy the fruits of the good deeds you have done, the worlds you have won through penance and the donations you have made. 23॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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