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श्लोक 18.3.13  |
शुभानामशुभानां च द्वौ राशी पुरुषर्षभ।
य: पूर्वं सुकृतं भुङ्क्ते पश्चान्निरयमेव स:॥ १३॥ |
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अनुवाद |
हे महापुरुष! मनुष्य के जीवन में अच्छे और बुरे कर्मों की दो मात्राएँ संचित होती हैं। जो पहले अच्छे कर्मों का फल भोगता है, उसे बाद में नरक में जाना पड़ता है॥13॥ |
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‘O great man! In a man's life, two quantities of good and bad deeds are accumulated. One who enjoys the fruits of good deeds in the first place has to go to hell later.॥ 13॥ |
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