श्री महाभारत  »  पर्व 18: स्वर्गारोहण पर्व  »  अध्याय 3: इन्द्र और धर्मका युधिष्ठिरको सान्त्वना देना तथा युधिष्ठिरका शरीर त्यागकर दिव्य लोकको जाना  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  18.3.13 
शुभानामशुभानां च द्वौ राशी पुरुषर्षभ।
य: पूर्वं सुकृतं भुङ्‍क्ते पश्चान्निरयमेव स:॥ १३॥
 
 
अनुवाद
हे महापुरुष! मनुष्य के जीवन में अच्छे और बुरे कर्मों की दो मात्राएँ संचित होती हैं। जो पहले अच्छे कर्मों का फल भोगता है, उसे बाद में नरक में जाना पड़ता है॥13॥
 
‘O great man! In a man's life, two quantities of good and bad deeds are accumulated. One who enjoys the fruits of good deeds in the first place has to go to hell later.॥ 13॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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