श्री महाभारत  »  पर्व 18: स्वर्गारोहण पर्व  »  अध्याय 3: इन्द्र और धर्मका युधिष्ठिरको सान्त्वना देना तथा युधिष्ठिरका शरीर त्यागकर दिव्य लोकको जाना  »  श्लोक 12
 
 
श्लोक  18.3.12 
न च मन्युस्त्वया कार्य: शृणु चेदं वचो मम।
अवश्यं नरकस्तात द्रष्टव्य: सर्वराजभि:॥ १२॥
 
 
अनुवाद
हे पिता! जो नरक तुम्हें देखना पड़ा है, उसके लिए क्रोध मत करो। मेरी बात सुनो! सभी राजाओं को नरक अवश्य देखना पड़ता है॥12॥
 
‘Father! Do not be angry for the hell you have had to see. Listen to me! All kings have to see hell for sure.॥ 12॥
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.