श्री महाभारत  »  पर्व 18: स्वर्गारोहण पर्व  »  अध्याय 3: इन्द्र और धर्मका युधिष्ठिरको सान्त्वना देना तथा युधिष्ठिरका शरीर त्यागकर दिव्य लोकको जाना  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  18.3.1 
वैशम्पायन उवाच
स्थिते मुहूर्तं पार्थे तु धर्मराजे युधिष्ठिरे।
आजग्मुस्तत्र कौरव्य देवा: शक्रपुरोगमा:॥ १॥
 
 
अनुवाद
वैशम्पायन कहते हैं, 'जनमेजय! कुन्तीपुत्र धर्मराज युधिष्ठिर को उस स्थान पर खड़े हुए अभी दो ही घण्टे हुए थे कि इन्द्र सहित सभी देवता वहाँ आ पहुँचे।
 
Vaishmpayana says, 'Janamejaya! Only two hours had passed since Kunti's son Dharmaraja Yudhishthira had been standing at that place, when all the gods including Indra arrived there.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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