श्री महाभारत  »  पर्व 18: स्वर्गारोहण पर्व  »  अध्याय 2: देवदूतका युधिष्ठिरको नरकका दर्शन कराना तथा भाइयोंका करुण-क्रन्दन सुनकर उनका वहीं रहनेका निश्चय करना  »  श्लोक 34
 
 
श्लोक  18.2.34 
ते वयं पार्थ दीर्घस्य कालस्य पुरुषर्षभ।
सुखमासादयिष्यामस्त्वां दृष्ट्वा राजसत्तम॥ ३४॥
 
 
अनुवाद
हे महापुरुष! कुन्तीपुत्र! राजाओं में श्रेष्ठ! आज बहुत दिनों के बाद आपके दर्शन पाकर हमें प्रसन्नता होगी॥ 34॥
 
O great man! Son of Kunti! Best of kings! Today, after a long time, we will feel happy on seeing you. ॥ 34॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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