श्री महाभारत  »  पर्व 18: स्वर्गारोहण पर्व  »  अध्याय 2: देवदूतका युधिष्ठिरको नरकका दर्शन कराना तथा भाइयोंका करुण-क्रन्दन सुनकर उनका वहीं रहनेका निश्चय करना  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  18.2.22 
स तत्कुणपदुर्गन्धमशिवं लोमहर्षणम्।
जगाम राजा धर्मात्मा मध्ये बहु विचिन्तयन्॥ २२॥
 
 
अनुवाद
धर्मात्मा राजा युधिष्ठिर हृदय में अत्यन्त चिन्ता करते हुए उसी मार्ग से गुजरे जहाँ सड़ी हुई लाशों की दुर्गन्ध फैली हुई थी और अशुभ तथा वीभत्स दृश्य दिखाई दे रहे थे। वह भयानक मार्ग रोंगटे खड़े करने वाला था॥ 22॥
 
The righteous King Yudhishthira, with deep worry in his heart, passed through the same road where the stench of rotten corpses was spreading and ominous and gruesome scenes were visible. That dreadful road was hair-raising.॥ 22॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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