श्री महाभारत  »  पर्व 18: स्वर्गारोहण पर्व  »  अध्याय 2: देवदूतका युधिष्ठिरको नरकका दर्शन कराना तथा भाइयोंका करुण-क्रन्दन सुनकर उनका वहीं रहनेका निश्चय करना  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  18.2.1 
युधिष्ठिर उवाच
नेह पश्यामि विबुधा राधेयममितौजसम्।
भ्रातरौ च महात्मानौ युधामन्यूत्तमौजसौ॥ १॥
 
 
अनुवाद
युधिष्ठिर ने पूछा, "हे देवताओं! मैं यहाँ परम तेजस्वी राधानन्दन कर्ण को क्यों नहीं देख पा रहा हूँ? वे दोनों महामनस्वी भाई युधमन्यु और उत्तमौजा कहाँ हैं? वे भी दिखाई नहीं दे रहे हैं।"
 
Yudhishthira asked, "O Gods! Why am I not able to see the immensely illustrious Radhanandan Karna here? Where are the two great-minded brothers Yudhmanyu and Uttamauja? They too are not visible."
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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