श्री महाभारत  »  पर्व 18: स्वर्गारोहण पर्व  »  अध्याय 1: स्वर्गमें नारद और युधिष्ठिरकी बातचीत  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  18.1.16 
न तन्मनसि कर्तव्यं पुत्र यद् द्यूतकारितम्।
द्रौपद्याश्च परिक्लेशं न चिन्तयितुमर्हसि॥ १६॥
 
 
अनुवाद
‘बेटा! तुम्हें उनके द्वारा जुए में किए गए अपराध का विचार नहीं करना चाहिए। उनके द्वारा द्रौपदी को दी गई पीड़ा को भी भूल जाना चाहिए।॥16॥
 
‘Son! You should not think about the crime committed by them in gambling. You should also forget the pain caused to Draupadi by them.॥ 16॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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