श्री महाभारत  »  पर्व 17: महाप्रस्थानिक पर्व  »  अध्याय 2: मार्गमें द्रौपदी, सहदेव, नकुल, अर्जुन और भीमसेनका गिरना तथा युधिष्ठिरद्वारा प्रत्येकके गिरनेका कारण बताया जाना  »  श्लोक 25
 
 
श्लोक  17.2.25 
युधिष्ठिर उवाच
अतिभुक्तं च भवता प्राणेन च विकत्थसे।
अनवेक्ष्य परं पार्थ तेनासि पतित: क्षितौ॥ २५॥
 
 
अनुवाद
युधिष्ठिर बोले, "भीमसेन! तुम बहुत खाते थे और दूसरों की ओर ध्यान न देकर अपने बल का बखान करते थे; इसी कारण तुम्हें भी पराजय का सामना करना पड़ा।"
 
Yudhishthira said, "Bhimasena! You used to eat a lot and used to brag about your strength without paying any attention to others; because of this you too had to face defeat."
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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