श्री महाभारत  »  पर्व 17: महाप्रस्थानिक पर्व  »  अध्याय 2: मार्गमें द्रौपदी, सहदेव, नकुल, अर्जुन और भीमसेनका गिरना तथा युधिष्ठिरद्वारा प्रत्येकके गिरनेका कारण बताया जाना  »  श्लोक 12
 
 
श्लोक  17.2.12 
कृष्णां निपतितां दृष्ट्वा सहदेवं च पाण्डवम्।
आर्तो बन्धुप्रिय: शूरो नकुलो निपपात ह॥ १२॥
 
 
अनुवाद
श्रीकृष्ण और पाण्डव सहदेव को गिरते देख भ्रातृप्रेमी योद्धा नकुल भी शोक से व्याकुल होकर गिर पड़ा ॥12॥
 
On seeing Krishna and the Pandava Sahadeva fall, the brother-loving warrior Nakul also fell, heartbroken with grief. ॥12॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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