श्री महाभारत » पर्व 16: मौसल पर्व » अध्याय 8: अर्जुन और व्यासजीकी बातचीत » श्लोक 32-33h |
|
| | श्लोक 16.8.32-33h  | एवं बुद्धिश्च तेजश्च प्रतिपत्तिश्च भारत॥ ३२॥
भवन्ति भवकालेषु विपद्यन्ते विपर्यये। | | | अनुवाद | भरतनन्दन! जब प्रगट्यकाल आता है, तब इस प्रकार मनुष्य की बुद्धि, तेज और ज्ञान का विकास होता है और जब विपरीत समय आता है, तब ये सब नष्ट हो जाते हैं। ॥32 1/2॥ | | Bharatanandan! When the time of emergence comes, in this way man's intelligence, brilliance and knowledge develop and when the opposite time comes, then all these get destroyed. ॥ 32 1/2॥ |
| ✨ ai-generated | |
|
|