श्री महाभारत » पर्व 16: मौसल पर्व » अध्याय 7: वसुदेवजी तथा मौसलयुद्धमें मरे हुए यादवोंका अन्त्येष्टि संस्कार करके अर्जुनका द्वारकावासी स्त्री-पुरुषोंको अपने साथ ले जाना, समुद्रका द्वारकाको डुबो देना और मार्गमें अर्जुनपर डाकुओंका आक्रमण, अवशिष्ट यादवोंको अपनी राजधानीमें बसा देना » श्लोक 33-34h |
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| | श्लोक 16.7.33-34h  | अश्वयुक्तै रथैश्चापि गोखरोष्ट्रयुतैरपि।
स्त्रियस्ता वृष्णिवीराणां रुदत्य: शोककर्शिता:॥ ३३॥
अनुजग्मुर्महात्मानं पाण्डुपुत्रं धनंजयम्। | | | अनुवाद | उनके साथ वृष्णिवंशी वीरों की पत्नियाँ भी शोक से दुर्बल होकर घोड़ों, बैलों, गधों और ऊँटों से जुते हुए रथों पर रोती हुई चल रही थीं। वे सब पाण्डुपुत्र महाबली अर्जुन के पीछे-पीछे चल रही थीं। | | Along with them, the wives of the Vrishni clan heroes, weakened by grief, walked weeping on chariots drawn by horses, bulls, donkeys and camels. All of them followed the great Arjuna, son of Pandu. |
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